तू ठहराव खोजे है, इस पल मे क्या
सफर ज़िन्दगी का, ये चलता ही जाएगा
तू होगा बहादुर, ना मौत से डरता होगा
ये डर असफलता का मगर, तुझको भी सताएगा
खुशियों मे है तूने, ये जीवन बसर किया
ग़म के समंदर से, कैसे तू पार पाएगा
हर मैदान, है फ़तेह तूने किया
ये जंग खुदसे खुदकी, तू हार जाएगा
है डर सताता तुझे, ग़ैरों का
तेरे अपनों से भी, तू अभी मात खाएगा
पर चंद लम्हों का मोहताज़ है, ये अंधेरा
के बीतेगी रात , सवेरा फिर से आएगा
~ Abhinav Chaudhary
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